Monday 17 December 2018

Moral stories in Hindi | जादुई घड़ा की कहानी

Moral stories in Hindi | जादुई घड़ा की कहानी

Moral stories in Hindi | जादुई घड़ा की कहानी                                                                                            

Moral stories in Hindi | जादुई घड़ा की कहानी     

जीतू किसान  खेत में काम कर रहा था तभी परेसान होकर बोलता है की में कब से खेत की खुदाइ कर रहा हू पर यह पथरीली जमीन ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा हैै उसी समय एक किसान आता है और पूछता है जीतू किसान से  क्या बात है मेरे भाई क्या हुवा इतनी दोपहर को क्या कर रहे हो जीतू और क्या करूंगा भाई किसान हूं खेती करके पेट भरता हूंयह बात तो जानता हूं मेरे भाई इस पथरीली जमीन को तुम अकेले कैसे खोदो गे यह बताओ मेरी मानो तो एक ट्रैक्टर ले लो उससे तुम्हारा बहुत समय बच जाएगा भाई मैं इतना गरीब हूं

कि मैं नमक भी नहीं खरीद पाता तो ट्रैक्टर कहां से खरीद पाऊंगा किसान बोलता है जो तुम्हें ठीक लगे वह तुम करो मैं चलता हूं अब जीतू अच्छा अच्छा ठीक है भाई मुझे भी अभी बहुत सारी जमीनें खोदनी है फिर जीतू किसान जमीन खोदने लगता है तभी जमीन में एक चमकता हुआ वस्तु दिखाई देता है जीतू मिट्टी हटाकर देखता है तो उसमें एक पुराना घड़ा मिलता है जीतू पुराने घड़े को देखकर बहुत मायूस हो जाता है

और भगवान को कोसता है क्या मैं जिंदगी भर गरीब ही रहूंगा और कह कर रोने लगता है उसको इतनी भूख लगी होती है कि उसके पेट में बहुत दर्द हो रहा होता है तब जीतू कीसान उठकर अपने खेत में ही एक अमरूद के ब्रिज के  पास जाकर पत्थर मारकर अमरुद तोड़ लेता है और खा लेता है उसे बहुत आनंद आता है और कुछ अमरुद अपनी पत्नी किरन के लिए उस पुराने घड़े में रख देता है

और अमरूद के ब्रिज के नीचे आनंद से सो जाता है फिर थोड़ी देर बाद उठ कर देखता है तो घड़ा पूरी तरह से अमरुद से भरा हुआ है जोतू किसान बहुत आश्चर्यचकित हो जाता है और सोचता है लगता है यह Jadui ghada है फिर एक बार उस पुराने घड़े में से सारे अमरुद को बाहर निकाल लेता हूं फिर उसमें दो अमरुद रख कर देखता है फिर क्या अमरुद से घड़ा  भर जाता है जीतू किसान बहुत खुश होता है यह तो Jadui ghada है

जीतू किसान खुश होकर कहता है कि अब मैं घर चलता हूं घर में जाकर अपनी पत्नी किरन को दिखाता हूं इस Jadui ghada का जादू किरन सोचती है घर पर रहकर की लगता है आज भी भूखा सोना पड़ेगा तब तक जीतू घर पर पहुंच जाता है और पूछता है क्या हुआ भागवान क्यों भगवान को याद कर रही हो किरण बोलती है घर में कुछ भी पकाने के लिए नहीं है तो क्या करूं भगवान का नाम ना लो तो क्या करूं जीतू बोलता है जल्दी घर में चलो और दरवाजा बंद कर दो किसान की पत्नी बोलती है इतनी दोपहर में दरवाजा क्यों बंद कर दूं और यह पुराना घड़ा किसका लेकर आए होजीतू बोलता है

तुमसे जितना बोल रहा हूं उतना करो ज्यादा पटर पटर मत करो जीतू की पत्नी जाकर दरवाजा फिर बंद करती हैजीतू घड़े में से निकाल कर कहता है यह लो अमरुद खाओ जीतू की पत्नी गुस्से से बोलती है घर में थोड़ा सा चावल थोड़ा सा दाल है और आप यह अमरुद लेकर आए हैं बाहर से जीतू बोलता है अरे भगवान जाओ थोड़ा सा चावल थोड़ा सा दाल जो है रखा हुआ है उसे लेकर मेरे पास आओ किसान की पत्नी पूछती है क्यों क्यों लेकर आओ जीतू किसान बोलता है जितना तुमसे कहा जाए उतना तुम करो जीतू की पत्नी थोड़ा सा जो चावल बचा हुआ होता है वह लेकर अपने पति को कहती है यह लो जीतू कहता है

मुझे नहीं इस घड़े में डालो जीतू की पत्नी कहती है क्यों डालो इसमें जीतू कहता है जितना बोल रहा हूं उतना करो बस जीतू की पत्नी फिर घड़े में चावल डाल देती है और देखती है चावल देखते ही देखते घड़े में पूरा भर जाता है चावल ही चावल हो जाता है जीतू की पत्नी पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो जाती है हैरान हो जाती है और जीतू की पत्नी खुश होकर कहती है लगता है अब हमारी गरीबी मिट जाएगी जीतू अपनी पत्नी किरन से कहता है यह बात हम दोनों के अलावा किसी को पता नहीं चलनी चाहिए जीतू की पत्नी मान जाती है कहती है ठीक है फिर जीतू कहता हैअरे भागवान बहुत भूख लगी है

 कुछ बनाओ जीतू की पत्नी कहती है जाइए हाथ मुंह धो लीजिए मैं खाना लगाती हूं जीतू बहुत दिनों के बाद भरपेट खाना खाता है और उसकी पत्नी खाती है जीतू बोलता है कि हमारे पास जो ज्यादा चावल बच जा रहे हैं और जो ज्यादा अमरुद हैं उन्हें कल ले जाकर मैं बाजार में बेच दूंगा हमें इन इतने ज्यादा अनाजों की जरूरत  है तो नहीं जीतू की पत्नी कहती है ठीक है चले जाइएगा और दोनों सो जाते हैं सुबह जीतू उठकर चावल और अमरुद लेकर बाजार में बेचने के लिए चला जाता है और सब्जी वाले की दुकान पर कहता है तुम्हारे पास तो सारी सब्जियां सारे फले मौजूद हैं

सब्जी वाला बोलता है जीतू भाई बोलिए क्या चाहिए क्या लेना है आपको जीतू बोलता है मुझे लेना नहीं है मुझे बेचना है मैं बेचने के लिए अमरूद और चावल आया हूं सब्जी वाला बोलता है अरे जीतू भाई आपके जमीन तो पथरीली जमीन है आपके जमीन पर तो कोई अनाज उगता नहीं तो यह चावल और अमरुद कहां से जीतू बोलता है भाई सब्जी वाले आम खाओ गुठली क्यों गिन रहे हो तुम्हें चाहिए तो बोलो नहीं तो मैं आगे चलु सब्जी वाला बोलता है अरे नहीं भाई लेना है दे दो सब्जी वाला चावल और अमरूद ले लेता है और जीतू को पैसे दे देता हैजीतू पैसे लेने के बाद कहता है बहुत दिनों के बाद मेरे हाथ में यह रुपए आए हैं

बहुत दिन हो गए इन रुपए को देखे हुए चलता हूं किरन के लिए एक साड़ी लूंगा बहुत खुश होगी जीतू जा कर एक नई साड़ी खरीद लेता है और लेकर अपने घर चला जाता है जीतू की पत्नी किरन घर पर अपने से बात करते हुए कहती है कि जितने सारे गहने मेरे थे सारे तो गिरवी रखे गए हैं यह आखरी गहना बचा हुआ है इसे Jadui ghada में डाल कर देखती हूं Jadui ghada में डालते ही घड़ा भर कर सोने के हार  जेवर से घड़ा भर जाता है जीतू की पत्नी इतने सारे जेवर देखकर खुश हो जाती है और फिर जेवर को अपने शरीर पर पहनने लगती है तभी जीतू आ जाता है और देखता है दरवाजा बंद है और दरवाजा खटखटा ते हुए बोलता है दरवाजा बंद क्यों है जीतू की पत्नी दरवाजा खोलती है जीतू देखता है अपनी पत्नी को और उसकी आंख फटी की फटी रह जाती है कितना सोने जेवरों से सजी हुई होती है उसकी पत्नी जीतू बोलता है

कि इतने सारे जेवर पहनकर बाहर मत जाना ज्यादा दिखावा मत करना यह समय ठीक नहीं है इन सब चीजों के लिए जीतू की पत्नी बोलती है कि मैं सब औरतों की तरह नहीं हूं कि मेरे पेट में बात पचे गी नहीं जीतू कहता है अच्छा सब बात छोड़ो यह देखो मैं तुम्हारे लिए साड़ी लेकर आया हूं जीतू की पत्नी साड़ी देख कर बहुत खुश होती है उसे साड़ी बहुत पसंद आता है उस साड़ी को Jadui ghada में डाल देती है जीतू बोलता अरे ई क्या कर रही हो जीतू की पत्नी घड़े में से सारी साड़ियां निकाल कर 2, 3 साड़ियां रख लेती हूं और कहती है

यह लो जिस दुकान से साड़ियां लाए हो उस दुकान पर ले जाकर इसे बेच दो कुछ पैसे और मिल जाएंगे जीतू कहता है हां बहुत अच्छा आइडिया है जीतू ले जाकर और  साड़ियां दुकान पर बेच देता है साड़ी वाला दुकान से बाहर निकल कर अपने से बात करते हुए कहता है कल एक साड़ी खरीद कर लेकर गया था आज 90 साड़ियां एक जैसी ही मुझे लाकर बेच दिया ऐसा कैसे हो सकता है लगता है मदर ने अपने घर में कपड़ों का कारखाना खोल रखा है तभी वहां पर सब्जी वाला पहुंच जाता है और कहता है क्या कह रहे हो जीतू अब साड़ी भी बेचने लगा सब्जी वाला बोलता है कल मेरे भी दुकान पर आकर भर के बोरे मैं चावल दो बोरे अमरूद बेचकर गया तभी साड़ी वाला बोलता है

उसकी तो पथरीली जमीन है सब्जी वाला बोलता है लगता तो है कुछ तो गड़बड़ है जीतू पर नजर रखनी पड़ेगी साड़ी वाला भी कहता है हां नजर तो अब रखनी पड़ेगी जीतू जब अपने घर रात को पहुंचता है एक बकरी लेकर उस बकरी को Jadui ghada में लेजाकर डाल देता है देखते ही देखते घड़े में से बहुत सारी बकरियां निकल जाती हैं उसी समय शाम को सब्जी वाला और साड़ी वाला खिड़की में से यह सब देख रहे होते हैं सुबह जाकर राजा को यह सब सारी बातें बता देते हैं जीतू किसान को राज दरबार में बुलाया जाता है जादुई घड़े के साथ जीतू को लेने के लिए दो सिपाही उसके घर जाते हैं

जीतू शांति से घड़े को लेकर राज दरबार चला जाता है राजा घड़े को लेकर देखने लगता है चारों तरफ से यह Jadui ghada कहां से दिखता है राजा अपना चेहरा घर के अंदर डाल देता है उसके बाद क्या 100 राजा वहां पर खड़े हो जाते हैं यही सब का मौका देखते ही जीतू घड़ा लेकर तुरंत अपने घर भाग जाता है मोटे डंडे से मार कर  घड़े को फोड़ देता है जीतू की पत्नी बोलती है अरे आपने यह क्या कर दिया जीतू बोलता है गरीब के जिंदगी में ज्यादा दिन खुशी नहीं रहती हम पहले की तरह ही खुशी से रह लेंगे।

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