Tuesday 25 December 2018

Stories In Hindi With Moral Of Akbar and Birbal | बीरबल की दाल की कहानी

Stories In Hindi With Moral Of Akbar and Birbal | बीरबल की दाल की कहानी 
Stories In Hindi With Moral Of Akbar and Birbal | बीरबल की दाल की कहानी
Stories In Hindi With Moral Of Akbar and Birbal
स्टोरी पढ़ने से पहले नीचे लाल कलर का बैल आइकन होगा उसे दबा दें धन्यवाद बहुत इस बार ठंडी बहुत ज्यादा है जी हा महराज इतनी ठंड होने के कारण लोग अपने घर से बाहर भी नहीं निकल रहे महराज अकबर बोलते है हां लेकिन काम करने के लिए सभी को बाहर तो निकलना ही पड़ेगा चाहे गर्मी हो चाहे  ठंडी महराज लेकिन जब ज्यादा ठंड बढ़ जाती है तो लोग अपने घर पर ही रहना पसंद करते हैं महाराज अकबर जब नदी के पास जाते हैं और वहां बैठ जाते हैं नदी में हाथ डालते ही उन्हें बहुत ठंड लगती है हाथ में और कहते हैं हां इस बार ठंडी बहुत ज्यादा है कोई ठंड में घर से थोड़ी बाहर निकलता है फिर बिरबल बोलते हैं

मैं माफी चाहता हूं महाराज , महाराज अकबर बोलते हैं हर बार आपको हमारे बीच दखल नहीं देना चाहिए फिर बीरबल बोलते हैं माफी चाहता हूं महाराज मैं आपकी बात नहीं काटना चाहता हूं परन्तु कुछ लोग है कितनी भी ठंड पड़े कितनी भी गर्मी पड़े वह अपना काम करते हैं महाराजा अकबर बोलते हैं आप यह कहना चाहते हैं कि कुछ पैसों के लिए लोग कुछ भी कर सकते हैं बीरबल बोलते हैं हां महाराज फिर महाराज अकबर बोलते हैं मैं आपकी बातों से सहमत नहीं हूं कोई भी इंसान कुछ पैसो के लिए इतना नहीं गिरेगा फिर बीरबल बोलते हैं महाराज आपके राज्य में कुछ लोग ऐसे हैं मुश्किल से मुश्किल काम कोई भी मौसम में वह कर सकते हैं कुछ पैसों  के लिए कर सकते है फिर महाराज अकबर बोलते हैं

क्यों ना बीरबल आप अपनी बात को साबित करके दिखाएं क्या बीरबल आप ऐसे आदमी को ला सकते हो जो इस ठंडी नदी में रात भर गुजार सकें हम उस आदमी को इनाम में 5 सोने की अशरफिया देंगे फिर बीरबल बोलते हैं इतनी सी कम रकम में भी कोई ना कोई तैयार हो ही जाएगा महाराज अकबर के साथ लाला जी होते है वह बोलते है इतनी ठंड में कोई तालाब में रात भर नहीं रहेगा अगर कोई मूर्ख आ भी जाता है तो रात भर में ही उसकी मृत्यु हो जाएगी उस तालाब में फिर बीरबल बोलते हैं महाराज में ऐसे आदमी को कुछ समय में ही ढूंढ सकता हूं फिर महाराज अकबर बोलते हैं अच्छा ठीक है आपने जो कहा है ऐसा आदमी ढूंढिए मुझे लगता है बीरबल इस बार आप गलत साबित हो जाएंगे बीरबल महाराज अकबर से बोलते हैं महाराज मैं कल शाम को ही उस आदमी को दरबार में पेश कर दूंगा फिर अगले दिन साम को महल में बीरबल बोलते हैं महाराज अकबर से जैसा की मैने कहा था महाराज उस तालाब में रात भर रहने के लिए एक आदमी आ रहा है वह बाहर खड़ा है उसे महल में बोलने की अनुमति दें महाराज अकबर बोलते हैं

हां उसे बुलाया जाए दरबार में हम उससे मिलना चाहते हैं फिर रामलाल हाजिर हो जाता है उस दरबार में फिर महाराज अकबर बोलते हैं क्या आपको बीरबल ने सारी बातें बता दी है रामलाल बोलता है जी महाराज मुझे रात भर नदी में गुजारनी है महाराजा अकबर बोलते हैं सिर्फ 5 अशरफिओ के लिए यह करना बहुत बड़ी मूर्खता है रामलाल बोलता है जैसा आप समझे महराज फिर महाराज अकबर बोलते हैं उस नदी के पास दो सैनिक रहेंगे महाराजा अकबर फिर से  कहते हैं इस आज रात के लिए रामलाल जी हमारे मेहमान है उनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए महाराजा अकबर अपने मन में ही बोलते ही हुए यह आदमी की आज आखरी रात है फिर महाराज राज दरबार में कहते हैं चलिए ठीक है बीरबल और रामलाल जी आप दोनों से हम कल सुबह मिलते हैं फिर अगले दिन ही सुबह महाराज अकबर बीरबल से पूछते हैं

क्या हाल है बीरबल जी आपके रामलाल का बीरबल खड़े होकर बोलते हैं महाराज रामलाल बाहरी खड़ा है कि ना आप उसी से पूछ ले फिर रामलाल को दरबार में बुलाया जाता है महाराजा अकबर रामलाल से पूछते हैं बताओ कैसी रही तुम्हारी रात रामलाल बोलता है महाराज काफी मुश्किल से लेकिन भगवान की दया से रात कट गई राज दरबार में सारे दरबारी आश्चर्यचकित हो गए फिर महाराज अकबर बोलते हैं क्या तुम यह कहना चाहते हो कि तुम सारी रात नदी में गुजारे हो उस ठंडे पानी नहीं ज्यादा ठंड में ऐसा हो ही नहीं सकता मैं नहीं मानता रामलाल बोलता है महाराज इन दोनों सिपाहियों से भी आप पूछ लीजिए मैं झूठ नहीं बोल रहा सिपाही बोलते हैं दोनों महाराज रामलाल सही बोल रहा है हम दोनों वहीं पर थे यह रात भर पानी से बाहर नहीं निकला यह सुबह पानी से बाहर निकला है हम दोनों ने इस पर निगरानी रखे हुए थे महाराज अकबर बोलते हैं कैसे किया तुमने यह मुझे यकीन नहीं हो रहा है बताओ कैसे किया तुमने यह रामलाल बोलता है पानी में मैं उतरते ही अकड़ गया था महाराज इतनी ठंड लग रही थी पूछिए मत लेकिन आप के महल में एक मोम कि बती जल रही थी

मैं उसे देखने लगा और भगवान का नाम लेने लगा उसके बाद महाराज भगवान की दया से मैं ठीक हूं महाराज अकबर बोलते हैं अच्छा अब समझ में आया तुम्हे उस मोम की बती के जलने से गर्मी मिल रही थी तभी तुम इतनी देर तक ठंडे पानी में रह सके वरना ऐसा तुम कभी नहीं कर पाते तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई हमसे धोखाधड़ी करने की रामलाम बोलता है पर महाराज सुनिए तो मेरी बात महाराज अकबर बोलते है अब तुम्हें कोई इनाम नहीं मिलेगा उसकी एक बात भी नहीं सुनते और  उसको दरबार से बाहर निकाल देते हैं और फिर महाराज अकबर बोलते हैं बीरबल से आप इस बार हार गए फिर बीरबल बोलते हैं महाराज माफी चाहता हूं मुझे घर जाने की इजाजत दीजिए कुछ घरेलू काम बाकी पड़े हैं मैं दोपहर तक वापस आ जाऊंगा महाराजा अकबर बोलते हैं अच्छा ठीक है तुम जाओ फिर बीरबल अपने घर चले जाते हैं फिर दोपहर में महाराजा अकबर पहुंचते हैं और पूछते हैं बीरबल अभी तक नहीं आए सिपाही बोलता है नहीं महाराज अभी तक नहीं आए सिपाही बोलता है आप बोलिए तो महाराज एक सिपाही भेज देते हैं बीरबल जी को बुलाने के लिए महाराज अकबर बोलते हैं भेज दो और बोलो जल्दी वह दरबार में पहुंचे फिर सिपाही दरबार में पहुंचता है और महाराज अकबर से बोलता है महाराज बीरबल जी अभी अभी खाना खा रहे हैं

खाना खाते ही आ जाएंगे राजा अकबर बोलते हैं आज बीरबल को हो क्या गया है इतनी देर से तो आज तक कभी खाना नहीं खाते ऐसा करो सिपाही तुम दो घोड़ा लेकर जाओ और शीघ्र बीरबल को लेकर आओ सिपाही चला जाता है फिर कुछ समय बाद सिपाही वापस लौट के आता है दरबार में और महाराज से बोलता है महाराज बीरबल अभी खाना बना रहे हैं खाना जैसे ही बन जाएगा वह खा कर आ जाएंगे महाराज अकबर यह सुनकर कहते हैं लगता है कुछ गड़बड़ है मुझे बीरबल के घर जाना चाहिए सिपाही हमारे जाने के लिए तैयारी करो फिर थोड़ी देर में बीरबल के घर महाराज अकबर पहुंच जाते हैं घर पर जाते ही महाराज अकबर देखते हैं बीरबल ने थोड़ी सी आग लगाकर उसके थोड़ी-सी ऊंचाई पर एक बर्तन बांधकर रखे हुए हैं महाराज अकबर पूछते हैं

बीरबल यह तुम क्या कर रहे हो बीरबल बोलते हैं महाराज में दाल पका रहा हूं महाराज बोलते हैं नीचे तुमने थोड़ी सी आग लगा रखी है और इतनी ऊंचाई पर एक बर्तन रखकर दाल पका रहे हो वह कभी कैसे पकेगा फिर बीरबल जवाब देते हुए कहते हैं महाराज उसी तरह जिस तरह रामलाल पानी में खड़ा था और आपकी महल इतना दूर था उसमें एक मोमबत्ती जल रहा था उससे वह गर्मी प्राप्त कर सकता है तो फिर यह दाल क्या चीज है यह तो थोड़ी सी दूरी पर है महाराजा अकबर अपनी गलती समझ जाते हैं फिर कहते हैं बीरबलतुम थोड़ी देर में दरबार पहुंचो और रामलाल को भी ले आना हम उसकी इनाम के पैसे उसे देंगे कुछ समय बाद बीरबल और रामलाल दरबार में पहुंच जाते हैं रामलाल को पांच अशरफिया  दी जाती है और साथ ही साथ में बीरबल को भी इनाम मिलता है अकबर की गलती का एहसास दिलाने के लिए अगर आपको हमारी कहानी अच्छी लगी हो तो नीचे लाल कलर का बैल आइकन होगा कृपया करके उसे दबा दें धन्यवाद

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