Thursday 18 April 2019

Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral | बिखारी बना अमीर

Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral | बिखारी बना अमीर

Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral

Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral एक गांव में नंदू नाम का एक आदमी था नंदू हर रोज सुबह मछली पकड़ने के लिए नदी के पास जाया करता था शाम को नंदू मछलियों को बेचकर वो अपना घर चलाया करता था 1 दिन नंदू मछलियां बेचकर शाम को घर जा रहा था तभी रस्ते में एक बीखारी मिला बीखारी नंदू से बोलता है साहब मैं बहुत दिनों से भूखा हूं कुछ खाने के लिए दे दो नंदू बहुत बड़े दिलवाला था 

वह किसी को मुसीबत में नहीं देख सकता था फिर नंदू अपने जैब से कुछ पैसे निकालकर दे देता है और उस भिखारी बोलता है जाओ जाके कुछ खा लो बीखारी नंदू को धन्यवाद बोलता है जब नंदू अगले दिन बाजार से शाम को लौट रहा था तो फिर वह बीखारी नंदू से बोला साहब कुछ खाने के लिए दे दो मैं कई दिनों से भूखा हूं नंदू अपने जेब से कुछ पैसे निकाल कर उस बीखारी को दे देता है 

और वहां से चला जाता है ऐसे ही कई दिनों तक चलता रहा हर रोज बीखारी शाम को नंदू से मिलता और नंदू उसे कुछ पैसे दे दिया करता था फिर 1 दिन नंदू शाम को बाजार से मछलियां बेचकर लौट रहा था तभी वह बीखारी फिर से बोला साहब मैं कई दिनों से भूखा हूं मुझे कुछ खाने के लिए दे दो नंदू सोच में पड़ गया यार मैं तो इसे हर रोज पैसे देता हूं लेकिन इसके हालात में कोई सुधार नहीं आया है 

मुझे इस भिखारी के लिए कुछ और करना चाहिए और नंदू फिर बिखारी से बोलता है कल तुम मुझे नदी के पास सुबह सुबह मिलना मैं तुम्हें कुछ बड़ा इनाम देना चाहता हूं बीखारी बहुत खुश हुआ नंदू को धन्यवाद बोला और फिर वहां से नंदू चला जाता है अगले दिन जब नंदू सुबह-सुबह मछलियां पकड़ने नदी के पास पहुंचता है नंदू देखता है कि बीखारी पहले आ चुका है बीखारी नंदू को देख कर बोलता है साहब आप मुझे इनाम देने वाले थे नंदू बोलता है 

हां मैं तुम्हें इनाम दूंगा लेकिन इससे पहले तुम मुझे कुछ मछलियां पकड़ कर दे दो तब बीखारी नंदू की बात सुनकर थोड़ा उदास हुआ लेकिन फिर भी बीखारी नंदू की बात मानकर जाल को पानी में फेंक देता है नंदू कहता है अरे यह तूने क्या किया मछली पकड़ने के लिए इस तरह जाल नहीं फेंकते फिर नंदू जाल को फेंक कर बीखारी को दिखाता है और तुरंत जाल को पानी में से नंदू बाहर खींच लेता है बीखारी बोलता है आपने ऐसा क्यों किया जाल को पानी में ही छोड़ देते तो मछलियां पकड़ी जाती नंदू बोलता है तुम्हें बड़ा ईनाम चाहिए 

कि नहीं बीखारी बोलता हां चाहिए फिर उसके बाद बीखारी जाल फेकता है और इंतजार करने लगता है मछलियां जाल में फसने की इंतजार करते करते शाम हो जाता है लेकिन एक भी मछलियां नहीं फंसती है भिखारी नंदू से बोलता है इससे बढ़िया तो साहब आप मुझे कुछ पैसे ही दे देते नंदू बोलता है सबर करो फिर अचानक से जाल में हलचल होने लगती है भिखारी बहुत खुश होता है और जाल को खींचकर बाहर लाता है जिसमें बहुत सारी मछलियां पकड़ी जा चुकी थी 

भिखारी बोलता है लो साहब मैंने अब मछलियां पकड़ ली अब मेरा इनाम दो नंदू बोलता है मैंने तो तुम्हें इनाम दे दिया अब मछलियां पकड़ो और बाजार में ले जाकर बेच दो अब तुम हे भीख नहीं मागनी पड़ेगी भिखारी समझ जाता है और नंदू को धन्यवाद बोलता है उसके बाद से हर रोज भिखारी मछलियां पकड़ता और बाजार में बेच दिया करता अब वह भिखारी भिखारी नहीं रहा अब वह बहुत अमीर हो चुका था Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral

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